Reading between the lines... looking beyond the face...getting beneath the surface...and feeling above the sky !!
Wednesday, November 18, 2015
Sunday, November 15, 2015
क्षण भर
निरर्थक शब्द
निरर्थक व्यथा
क्षणभंगुर जीवन
क्या वृतान्त
क्या कथा
क्षण भर मोह
क्षण भर हया
क्षण भर क्षेम
क्षण भर दया
क्षण भर क्षमा
क्षण भर भय
क्षण भर लोभ
क्षण भर प्रलय
क्षण भर प्रीत
क्षण भर रीत
क्षण भर जीत
क्षण भर विलय
निरर्थक शब्द
निरर्थक व्यथा
क्षणभंगुर जीवन
क्या वृतान्त
क्या कथा
निरर्थक व्यथा
क्षणभंगुर जीवन
क्या वृतान्त
क्या कथा
क्षण भर मोह
क्षण भर हया
क्षण भर क्षेम
क्षण भर दया
क्षण भर क्षमा
क्षण भर भय
क्षण भर लोभ
क्षण भर प्रलय
क्षण भर प्रीत
क्षण भर रीत
क्षण भर जीत
क्षण भर विलय
निरर्थक शब्द
निरर्थक व्यथा
क्षणभंगुर जीवन
क्या वृतान्त
क्या कथा
Sunday, December 14, 2014
मेरा मन मकान !!
कितनी गालियाँ, कितने मकान
कितने दरिया, कितने मचान
होकर चला ये मन मेरा
किसी चौराहे एक लम्हा छोड़ा
किसी दरवाज़े एक ख्वाब
किसी खिड़की से चाहत झांके
मुझे करने को अलविदा
कहीं आस का कतरा कतरा
पड़ा गली चौबारे
खींच शरीर को मैं यूँ अपने
घूमूं द्वारे द्वारे।
जैसे हो खाली हर मकान
बस ईंटों की हो दीवार
खिड़की ताक रही वीराना
खोले पट खड़ा वो शांत
चाह रौशनी की लेकर
आत्म विहीन मेरा मन मकान !!
कितने दरिया, कितने मचान
होकर चला ये मन मेरा
किसी चौराहे एक लम्हा छोड़ा
किसी दरवाज़े एक ख्वाब
किसी खिड़की से चाहत झांके
मुझे करने को अलविदा
कहीं आस का कतरा कतरा
पड़ा गली चौबारे
खींच शरीर को मैं यूँ अपने
घूमूं द्वारे द्वारे।
जैसे हो खाली हर मकान
बस ईंटों की हो दीवार
खिड़की ताक रही वीराना
खोले पट खड़ा वो शांत
चाह रौशनी की लेकर
आत्म विहीन मेरा मन मकान !!
Monday, May 26, 2014
दुआ क्यों न की !!
इस क़दर तुमसे कोई शिकायत तो न की ,
कि मेरी उम्मीदों को कोई ठिकाना न मिले
इस तरह तुमसे कोई हिमाकत तो न की ,
की मेरी वफाओं को कोई सिला न मिले
जिससे रूबरू किया , साथ उसको लिया ,
किसी की कोई वकालत तो न की,
पर ऐसे क्योँ मुँह मोड़ लिया,
जैसे साथ रहने की वजह ही न थी
फिर भी हर वक़्त चलते ही रहे हम ,
कि तुमने पशेमाँ करने में कोई कमी भी न की !!
तुम शायद हँसते हो मुझ पे ,
की मैंने कभी कोई दुआ क्यों न की !!
कि मेरी उम्मीदों को कोई ठिकाना न मिले
इस तरह तुमसे कोई हिमाकत तो न की ,
की मेरी वफाओं को कोई सिला न मिले
जिससे रूबरू किया , साथ उसको लिया ,
किसी की कोई वकालत तो न की,
पर ऐसे क्योँ मुँह मोड़ लिया,
जैसे साथ रहने की वजह ही न थी
फिर भी हर वक़्त चलते ही रहे हम ,
कि तुमने पशेमाँ करने में कोई कमी भी न की !!
तुम शायद हँसते हो मुझ पे ,
की मैंने कभी कोई दुआ क्यों न की !!
Friday, December 23, 2011
I choose…to Dare…
I choose to smile …when I open my eyes…after a nightlong nightmare …for I dared to dream anyway…
I choose to face the storm in the skies...after a long dreary day…for I dared to hope for the rains to stay...
I choose to take the new roads…and find my way…for I dared to whisk my fears away…
I choose to stand away from the maddening crowd…for I dared to believe in what I say…
I choose to mock the failures I had…for I dared to never give up…till the end of the day…
I choose to be …WHAT I AM…For I dared to challenge ..and live on the Edge ..every single day ..!!!
Thursday, December 22, 2011
Monday, November 28, 2011
A speck of grain..!!
Times when you are but a speck in a desert..
Lost and found like every other cohort...
Screeching silence kills every sound...
Till you remain nothing but a particle on a mound...!!
You sit there watching helplessly..
The caravans going past...
Dreams of yester years..
And the shadows they cast..
How long the winds will hold me..
If I do not fly...
Before long I should realize ..
My limit is the sky...
Come alive you speck of grain...
and stand tall where you sat hopeless..
Look around and you will find..
You just added the height to the mound nonetheless..!!
..
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