ये मंथन है धर्मों का
ये मंथन है कर्मों का
जीवन का ये मंथन है
ये मंथन है चरमों का
ये मंथन इक्छाओं का है
ये मंथन इक्छाओं का है
ये मंथन सीमाओं का है
ये मंथन है सपनों का
ये मंथन है अपनों का
ये मंथन अन्तर्मन का है
ये मंथन अन्तर्द्वन्द का है
ये मंथन अन्तर्द्वन्द का है
ये मंथन है आत्मा का
ये मंथन है परमात्मा का
है ये मंथन इस धृति का
है ये मंथन इस धृति का
है ये मंथन प्रकृति का
ये मंथन है अमृत का
और मंथन है उस विष का
जिसने पान किया उस शिव का
क्या तुम शिव बन पाओगे ?
उस विष को पी पाओगे?
बस अमृत का लोभ लिए तुम
मंथन को व्यर्थ कर जाओगे ...
मंथन को व्यर्थ कर जाओगे।
मंथन को व्यर्थ कर जाओगे।
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