ख़ुद के होने का एहसास क्या होता है ...
छू के देखो तो कुछ और ही बयान होता है...
इस पिंजर में जान फूंकने से नहीं आती ...
जान होने का एहसास जुदा होता है ...
सँभाल के ख़ुद को तुम क्यों रखते हो ..
वक़्त के आगे तो जीना ही भरम होता है ...
पल पल जो बीता पल ये ..
गुज़रता है ... तुम पर से..
तो सदियाँ एक पल में
सौ सौ बयान करता है ....
Beautiful...
ReplyDeleteThanks much Priya
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