Thursday, December 22, 2011

उम्र दराज़ उनका साया बनके निकाली..
और उन्हें ये गिला की हम दो कदम साथ भी न चले..
उनमें इस कदर खोये की खुद को भूल गए..
और हमें ये गिला की भो हमें ढूँढने भी न चले..

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