Friday, November 12, 2010

क्या देखा....???

सूरत देखी , मूरत देखी 
जुल्फें देखी , आँखें देखी
सीरत न दिखी तो क्या देखा... ?

महफ़िल देखी, मस्ती देखी,
अनजानों की हस्ती देखी 
गैरों की उस बस्ती मैं
अपना न दिखा तो क्या देखा ...?

कारवां देखे , बस्तियां देखी 
शहरों की गलियाँ देखी
और महलों के उन रस्तों पर
अपने घर का रास्ता न दिखा तो क्या देखा..?

दूरी देखी, राहें देखी 
कुछ सपनो की आहें देखी
उन बिखरी सी आशाओं मैं 
मंजिल का नाम-ओ-निशां न दिखा तो क्या देखा..?

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