Monday, November 1, 2010

लम्हों का फेर...!

चाँद को देखा तो ...
दिन को भुला दिया..
सुबह को देखा तो...
रात को  झुठला दिया...
दिन की  तकदीर में ..
रात का मुक़द्दर है...
सितारों से क्या शिकवा ..
उन्होनें सो के दिन को जगा दिया..
आपने जो रात के साए में..
सपनों को देखा था..
दिन के उजाले ने उन्हें सजा दिया..
इस रात और दिन में..
बस लम्हों क फेर  है..
बस यूँ सोचिये क़ि ..
चंद घड़ियों क़ि देर है..
क़ि फासलों को देखा ..तो मंज़िल को भुला दिया..
और मंजिलों को चाहा तो फासलों को मिटा दिया..!!

2 comments:

  1. Has a very deep meaning. A full turnaround. Good one.

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  2. I am so glad to see your comment...I thought someone is not into reading Hindi stuff...thanks a lot..!!

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